bas-dil-janta-hai-kavita-hindi- आदमी कितना भी चालाक हो जाए । जब संबंध जुड़ जाता है तो हृदय उन बातों को भी पहचान लेता है । जो सामने वाले के हृदय में होता है । भले ही परिभाषित नहीं कर पाए लेकिन उसके इरादों को स्पर्श करता रहता है । अब रिश्तों की ज़िम्मेदारी समझो या फिर समझदारी चुप रहता है । रिश्तों को चलाने के लिए । इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
bas-dil-janta-hai-kavita-hindi-
बस दिल ही जानता है
तुम्हें कितना चाहता है
तुम मानो या ना मानो
तेरी यादों में तड़पता है
न जाने क्यों हो गया इश्क
हर पल दिल दर्द पाता है
कशक, पीड़ा दिल की
तेरी याद में सुकून पाता है
तुम हॅंस कर चले जाओगे
ये दिल तेरी यादों में मचलता है
लोग हंसेंगे मेरे हालातों पे
जमाना जज़्बात कहां समझता है
bas-dil-janta-hai-kavita-hindi-
बस दिल जानता है
तेरी बातों की असलियत
तेरे वादों की गहराई
महसूस कर जाता है
बस दिल जानता है
तुम कहो कुछ भी
समझाओं कुछ भी
तर्क चाहें दें दो कुछ भी
तेरे इरादे समझ जाता है
बस दिल जानता है
तेरा रोना - हंसना
तेरी झूठी ही सही मुस्कान
तुम कब हुए मेरे दिल से अनजान
तेरी हर हरकत समझता है
बस मेरा दिल जानता है
कह दूं सच्चाई
भगवान रूठ जाएगा
तेरी बेवफ़ाई जान
यहां किसी से कौन प्यार कर पायेगा
इसलिए चुप रह जाता है
बस दिल जानता है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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