Fasale Kavita meregeet
फासले बढ़ते गए
क्योंकि मेरा प्यार
एकतरफा था
जिसे हम समझते गए
आखिर उसकी चालाकी
छुप न सकी
बातों ही बातों में
बाहर आ गई
इश्क नहीं था दिल में
और हम उसकी नजरें
पढ़ते गए
फासले बढ़ते गए !!!!
Fasale Kavita meregeet
उसकी उदासीनता
इस कदर बढ़ी है
चाहत मर कर
भी बढ़ी है
भूलना चाहें
और वो याद आए
आंखों में फिर नमी है
उसकी उदासीनता
इस कदर बढ़ी है
जीने की उम्मीद नहीं
कुछ चाह नहीं
कुछ आह नहीं
विश्वास कुछ भी नहीं है
उसकी उदासीनता
इस कदर बढ़ी है !!!
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