सच्चाई नहीं दिखती है The Truth is not Visible Article

 The Truth is not Visible Article वर्तमान समय में सच्चाई का अब अभाव है । समाज में ।सच की जिंदगी कोई जीना नहीं चाहता है । क्योंकि उसे सच की राहों में तकलीफ़ बहुत नज़र आती है । इसलिए सुविधा की राह अपनाते हैं इसके लिए भले ही उसे गिरगिट बनना पड़े  । फर्क नहीं पड़ेगा । झूठ पकड़ें जाने का ।

 The Truth is not Visible Article

लोग खुद में ही इतने व्यस्त है । किसी के गलत कार्यों को ध्यान में नहीं रखते हैं । यदि यदि कोई पूर्व में उससे बुरा बर्ताव किया है । और सामने उसी से उसका काम है तो वो भी अपने हितों के कारण उसकी गुलामी स्वीकार कर लेंगे । भले ही उसे अपनी खुद्दारी त्यागना पड़े । अपने हितों को साधने में ही उसे समझदारी लगते हैं । जिसे वे आज-कल के जमाने में जायज़ मानते हैं । क्योंकि चारों ओर इसी नजरिए से जीते हुए लोग मिलेंगे । समाज भी इसे अपनी मान्यता देती है । स्वीकार करते हैं । ऐसी जिंदगी को । नौकरी पेशा वालों से ऊपरी कमाई पुछना इसके सबूत है ।

हॉं ये बात अलग है जो लोगों इसके शिकार होते हैं । वे निंदा,, विरोध जरुर करेंगे । लेकिन समाज अपना खुला समर्थन नहीं दे सकते हैं । जब तक सभी के लिए कोई बुरा ना हो जाए । समाज संगठित होकर विरोध नहीं करेंगे । ये समस्या शोषित वर्ग का है । समाज का नहीं । 


जब लोगों का बुरे इंसानों से हित की प्राप्ति होती है । वे बुरे लोगों के बचाव करते हैं । अपने कई तर्को से । जिसे हर कोई काट नहीं सकते हैं । अपने जवाबों से । 

 व्यक्तिगत लाभ में लोग इस तरह डूबे हैं । किसी भी भावनाएं, किसी की भावनाओं की कोई मायने नहीं रखते हैं । इसलिए सबकी जिंदगी का मायने कम है । सब चालाक है । झूठ बोलकर ।

झूठ की सफलता सच से ज्यादा है । इसलिए सभी लोग अपनाए है । अपनी हित साधना ही सर्वप्रथम है । जिसके कारण लोग एक दूसरे को शंका करते हैं ।न जाने कब वो किसी के मतलब के शिकार हो जाएंगे  । इसलिए सदा सचेत रहते हैं । इसी समझदारी के साथ अपने हितों के प्रति सजग रहते हैं । उलझना नहीं चाहते किसी के लिए । चाहे उसके अपने ही हो । बाद में समझा लेंगे । बहला फुसलाकर अपने अनुकूल बना लेंगे । हालांकि ये दोगलापन की जिंदगी है । लेकिन ये भी समझदारी है आजकल की जिंदगी में ।

ये लोगों की उदासीनता बताती है । किसी पर भी भरोसा नहीं रहा । यदि लोगों के दिलो में सच्चाई होती ,,,तो रिश्तों में ताजगी होती ।

---राजकपूर राजपूत''राज'

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