बहुत दिनों से

बहुत दिनों से
बादल बरसे थे
प्यासा मन
नहीं तरसे थे
पेड़ों और पत्तों से
धरती और अम्बर से
जितनी धूल जमी थी
सब मिट गई थी
बारिश की बूंदें
जब धरती पे पड़ी थी
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