समय-समय पर Samay ke saath

Samay ke saath 

समय के साथ
बहुत कुछ भूल जाते हैं

सीने से कई राज़ खुल जाते हैं

ज़रा-सी तारीफ क्या की उसकी
सीने फूल जाते हैं

सियासत ही चीज हैं ऐसी
फायदे में दुश्मन मिल जाते हैं

बंजर जमी पे पड़ते ही बारिश की बूंदे
अधखिले फूल भी खिल जाते हैं

जो निरंतर प्रयास में लगे हैं
अपनी कोशिशों ही से सफल हो जाते हैं  !!!!

Samay ke saath


समय के साथ सब भूल जाते हैं
नववर्ष के प्रथम दिवस में सभी शामिल होते हैं
बाकी दिन भूल जाते हैं
विशेष दिवसों को
कैलेण्डर में लिखा जाता है
हटकर
लाल अक्षरों में
ताकि तुम्हारा ध्यान लाया जा सके
आज विशेष है
बाकी दिवसों से !!!!

-राजकपूर राजपूत 

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