मेरे पास क्या है

मेरे पास क्या है
जिसे मैं प्रदर्शन करूॅं
तुम्हारे सामने
जिसे तुम समझ सको
महसूस कर सको
अपने भीतर
ऐसा कुछ भी नहीं
जो तुम्हारी समझ में आए
क्योंकि तुमने
एक आवरण ओढ़ रखें हैं
भौतिकता की
जहॉं से तुम्हें
बाह्य चीजें
दिखाई देती है
कपड़े लत्ते से
धन-दौलत तक
नज़र जाती है
जहॉं तुम्हारा प्रेम
समझ नहीं पाता
मेरा प्रेम
जबकि मेरे पास जो है
उसे मैं
बाह्य रूपों में
प्रगट नहीं कर सकता हूॅं
तुम्हारे समझ के अनुरूप
---राजकपूर राजपूत''राज''





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