हिन्दू धर्म Hindu Dharma Kavita

Hindu Dharma Kavita हिंदू धर्म में तैंतीस कोटि देवता का होना - सबके अस्तित्व को स्वीकार करना है । पेड़ पौधों से नदी तालाब तक । पत्थरों से लेकर पहाड़ों तक ।व्यापक दृष्टिकोण है न कि संकोचित । मनुष्यों के लिए जरूरी है । जिसकी जरूरत कभी न कभी पड़ सकता है । भले ही कोई स्वीकार न करें । जैसे हरेक इंसान की अपनी क़ीमत है । ठीक वैसे ही प्रकृति की ।‌एक को सदा श्रेष्ठ मानना मुर्खतापूर्ण और अंधभक्ति है ।

Hindu Dharma Kavita 

(१)
हिन्दू धर्म
एक खोज है
जीवन की
निर्धारित
आयु की
व्यवस्थित नजरिया है
हिन्दू धर्म
वैज्ञानिक पद्धति है
जीने की
संचालित करने की
जिसमें निरंतरता है
नई सोच को
अपनाने की
आत्मसात करने की क्षमता है
हिन्दू धर्म में

(२)
आधुनिक सोच को
तौलने की काबिलियत है
जिसमें न छल है
न बिसात है
अपनी परिपक्वता से
सदैव जिम्मेदारियों का
निर्वाहन किया है
हिन्दू धर्म
जिसके भीतर
लोकतांत्रिक व्यवस्था है
सबको सम्मान देने का
जिसने सदैव
चिंतन-मनन
किया है
सभी जीवों को
एक समान होने का
चाहे आलोचना करो
या फिर बुराई
सदैव अंतर्मुखी हो कर
विचार किया है
खुद के भीतर
कमियों को
जिसने कभी
किसी की लकीरें नहीं काटी
जितना स्वीकार किया
सबको
उतना ही तिरस्कार किया
सबने
एक कमजोरी मानकर
सहनशीलता को
आलोचना करते रहे
हिन्दू धर्म की !!!
(३)

हिन्दू धर्म

संख्या नहीं बढ़ाता
ज्ञान बढ़ाता है
जहां मिल जाए
उसे ग्रहण करते जाए
जीने की कला को
बेहतर बनाया जा सके
लड़ते हैं शास्त्रों से
तर्क से 
जिसे कुछ लोग
हथियार बना लिए हैं
हिन्दू धर्म के विरुद्ध !!!

उसे भगवा पर इतनी आपत्ति है
बाकी धर्मों पर जैसे बहुत शांति है
विद्वत्ता प्रदर्शन इस तरह किया
जैसे उसके एजेंडा एक क्रांति है
कहां की बातें कहां जोड़ देते हैं
बुद्धिजीवी है भावनाओं तोड़ देते हैं
उनका हक़ है आलोचना करना लेकिन
 मेरी आस्था पर सवाल छोड़ देते हैं
 बड़ा आसान है भावनाओं से खिलवाड़ करना अच्छी बातों पे भी एजेंडा छोड़ देते हैं

जाने क्यों लोग बुद्धिजीवी बन जाते हैं
चलते फिरते उपदेश दे जाते हैं
जब खुद सुधर नहीं पाते हैं
क्यों दूसरों को उपदेश दे जाते हैं !!!

अभी सीखा नहीं है जीना 
और उपदेश देने लग गए 
जिसके पास इतिहास नहीं 
कोई शास्त्र नहीं 
ऐसे बोलते हैं 
जैसे ज़हर घोलते हैं 
जाने तू कब इंसान बनेगा 
तब कहीं जाके ज्ञानी बनेगा 
अपनी नफ़रत को 
तर्क कहते हो 
स्वर्ग को नर्क कहते हो 
पहले जो असुर होते थे 
आजकल वहीं तुम हो !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉मेरी आस्था कविता 
---राजकपूर राजपूत''राज''

Hindu Dharma Kavita


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ