chidiya nhin dikhati hai Kavita Hindi main
नहीं दिखती चिड़िया
जो कभी बैठती थी
फूलों के मकरंद में
आंगन में फूदकती थी
अपनी ही धुन में
घर का सुनापन में
रस घोलती थी
नहीं दिखती चिड़िया
जो पेड़ों के झुरमुट में
चहकती थी
शाम होने से
पहले लौट आती थी
अपने घोंसलों में
बतियाते थे
अपने ही कलरव से
अपने बच्चों से
नहीं दिखती चिड़िया
हॉं अब लोगों का
ध्यान भी नहीं रहा
क्या-क्या अब नहीं रहा
अपने में ही उलझ गए हैं
अजीब सी चाहत में फंस गए हैं
ऐसा नहीं
उसे पसंद नहीं है
चिड़ियों की आवाजें
आज भी
मशीनों की आवाजों से
ऊब जाते हैं
या थक जाते हैं
अपनी तलाश में
सुनने की कोशिश करते हैं
चिड़ियों की आवाजें
अपने फोन के
टच स्क्रीन से
सुकून के साथ
कुछ पल ही सही
मगर अच्छा लगता है उसे
हॉं ये बात अलग है
वो वास्तविक नहीं है
फिर भी
उसकी प्रवृत्ति में शामिल है
क्योंकि उसके पास फुर्सत नहीं है
वास्तविक चिड़िया
देखने की !!
2 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर रचना सर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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