जितनी उम्मीद है उससे कम कर

दुनिया से समझौता मत कर
जितनी उम्मीद है उससे कम कर

क्या पता कब धोखा मिल जाए
अपनी खुशियों का भी ग़म कर

दिमाग की दुनिया है दिल तोड़ देंगे
भोला दिल है यूॅं ना ऑंखें नम कर

तुझे रोक न पाएगी भीड़ जमाने की
इससे निकलने की कोशिश हरदम कर
---राजकपूर राजपूत''राज''
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