फ़ैशन और विचार

आपकी कविताओं में
थकावट है
जो विचार के नाम से
परोस रहे हैं
हर वो पुरानी व्यवस्था को
चोट करके
जो संचालन करने के लिए
बनी थी
समाज की
जिसकी आवश्यकता
आज भी है
लेकिन तुमने
बेडियॉं मानी
लोगों की
लोगों की आजादी के नाम पर
उच्छृंखलता ला दी
सभी के सीने में
जिसे तुम
समझ नहीं पाए
कब बुराई आ गई
तुम्हारे भीतर
अंतर नहीं कर पाए
अच्छे और बुरे की
अपनी बुद्धिमत्ता से
अपने फ़ैशन से
लोगों को
इस मुहाने पर टिका दिया
आज हर कोई अकेला है
तुम्हारे सुधार की प्रवृत्ति से !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''




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