मैं तो सब-कुछ हार चुका हूॅं
मेरी दुनिया है सिर्फ तुम्हीं से
चाहे जहॉं ले चलो
ये धरती ये आसमान
मेरे लिए कुछ भी नहीं
मेरी दुनिया है तेरी बाहों में
मुझे तुम समा लो
मुझे भरोसा है तेरे साथ
मुझे दें दो अपना हाथ
जिसके सहारे चलता रहा हूं
मेरे सफ़र में तुम साथ दो
अब तुम ही कहो
मैं तो सबकुछ हार चुका हूं
-राजकपूर राजपूत''राज''
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