poem on affection hindi
स्नेह मेरे भीतर है
तेरे लिए
फूलों की खुशबू सरीखे
सम्हाला हूॅं जिसे
तेरे लिए
तुम पास आओगी
तो बिखरेगी
यही कहीं
मेरी सॉंसों से
तेरी सॉंसों तक
और मैं चाहता हूॅं
तुम महसूस करो
मेरे स्नेह को
अपने भीतर
मेरे लिए !!!
poem on affection hindi
मेरा जीवन
तुम्हारे लिए
जीवन सारा
मेरे लिए
तेरा सहारा
जब भी मैं हारा
तेरे यादों में
जीवन गुजारा
मिलता नहीं
अपनापन कहीं
तेरे सिवा
मैं सबकुछ हारा !!!
मेरा स्नेह
अपार है
तुम आना
तुम्हें जरूर मिलेगा
मैं सामने वाले को नहीं देखता
न ही उसके हृदय को
अर्थात
बदले की भावनाएं नहीं है मुझमें
नहीं बिरादरी देखता हूं
न कोई जात
मैं अपने अन्दर की आवाजें सुनता हूं
फिर दें देता हूं
अपना स्नेह !!!!
जब तुम मुझे
अपने दुःख से अलग करते हो
झूठी मुस्कान लाकर
मैं समझने लगता हूं
कितना अलग हूं मैं
अपने प्रेम से
जिसने मुझसे
छुपा रहा है
अपने दर्द
शामिल होने के लिए
मेरा हृदय तड़प उठता है
मैं कुछ करूं
लेकिन तुम नहीं बताते
जैसे कुछ नहीं हुआ है
अलग और बिखरा देते हो
प्रेम
परायेपन लाकर
तब देखता रह जाता है
मेरा स्नेह
तुम्हारा अलगाव
हम
अलग हैं
दोनों !!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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1 टिप्पणियाँ
अति सुन्दर रचना
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