महादेव का जब डमरू बाजे

महादेव का जब डमरू बाजे
तीनों लोक झुम-झुम कर नाचे

श्याम रूप, गले में सर्पों की माला
चन्द्र शिख जिसपर सुन्दर लागे

प्रेम से बोलें जो हर हर महादेव
दुःख कष्ट कभी पास न आवे

पी गया जो विष हॅंसकर प्यारे
भोलेनाथ हैं सारे सृष्टि के रखवाले
---राजकपूर राजपूत''राज''


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