समय के साथ-साथ
रूढ़ियॉं आ जाती है
जो कल तक नए थे
बुराइयॉं आ जाती है
और कुछ समय बाद विचारों में
कुछ बातें अप्रासंगिक हो जाते हैं
विचारों की समझ
कमजोर हो जाती है
परंतु मानने वाले
पत्थरों पे पड़ी लकीरों को
मानते हैं
हालांकि वो नहीं जानते हैं
कब उसके महान विचारों को
संशोधन की जरूरत है
जिंद की जरूरत नहीं है
लेकिन ऐसे मानते हैं
वे ही सही है
उक्त कट्टरता गैर जरूरी है
इसलिए लोग में दूरी है
किसी के विश्वास में ।।।
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