the question was correct poem
सवाल सही था
लेकिन तू कहीं था
चालाक मन तेरा
जवाब नहीं था
आरोप लगाना ही
तेरे लिए सही था
बचने की आदत है
ईमान नहीं था
ध्यान भटकाना है तुझे
सच लाना नहीं था
बहरुपिए का रूप क्या
वो आदमी नहीं था
दिल में तेरे 'राज'
अब एतबार नहीं था !!
the question was correct poem
माना भी उसको
चाहा भी उसको
लेकिन वे न बदले
अपने इरादों से
वो अब भी स्थिति था
अपने एजेंडे में
वो चाहता है
बदल दूंगा
अपने अनुकूल
इसलिए समय को कर रहा है
अनुकूल
लोगों की परवाह न करते हुए
आज भी अपने एजेंडे में
काम जारी रखें हुए हैं !!!
उसे कभी अपना बना नहीं सकते
नफ़रत है दिल में प्यार जता नहीं सकते
उस पर यकीन कौन करेगा
इसलिए अब एजेंडा चला नहीं सकते !!!
सवाल सही था
लेकिन जवाब नहीं था
लच्छेदार भाषणों में
सच नहीं था
माना बुद्धिजीवी था
लेकिन ज्ञान नहीं था
बहलाना फुसलाना
सच का इरादा नहीं था
वो चोर की भांति आया
किसी को पता नहीं था !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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