अपनी उम्मीदों को वक्त पे न छोड़

अपनी उम्मीदों को वक्त पे न छोड़


इश्क है तो इश्क का इजहार कर
वर्ना जिंदगी भर तू इंतजार कर

ऐसी दीवानगी भी क्या जो दिल में रहे
इश्क है तो इश्क पे इतबार कर

अपनी उम्मीदों को वक्त पे न छोड़
तू न शनिवार कर न इतवार कर

जलता है जिस्म नफरतों के साए में
दो पल की जिंदगी है बस प्यार कर

---राजकपूर राजपूत

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