आदमी की जात है आदमी से दूर कर रहा है
जो इंसानियत कभी सबके सीने में थी मगर
व्यक्तिगत जीवन में इंसानों से दूर कर रहा है
चंद कागज़ के पन्नों पर लिखी हैं दिल की बातें
सहुलियत में अपनाते हैं नुकसान में दूर कर रहा है
भरोसा नहीं अब यहॉं किसी को किसी से 'राज'
दो पैसों की लालच में रिश्तों से दूर कर रहा है
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