Poem on Disease Love
तकलीफ़ तो होती है
पर क्या करें
मोहब्बत ही ऐसी होती हैं
एक बार लग जाए रोग
तड़प , पीड़ा तो होती है
दिल को समझाए न समझे
हॉं समझ ही ऐसी होती है
दिन गुजर जाता है यूॅं ही
रात में तन्हाई तो होती है !!
Poem on Disease Love
याद आती है बहुत
दिल रोया है बहुत
सामने आएगी तो बताऊंगा
दिल का हाल
मगर आने से
भूल जाता है बहुत !!!
एक बार लग जाए रोग
चाहे संयोग हो या वियोग
रोता है दिल बार-बार
कोशिश करता है पाने के कई प्रयोग !!!!
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