ठंडक हो जीवन में ऐसी मुझे छाँव दें
तुझसे ही उम्मीद है मुझे जीवन में
हार के भी जीत जाऊँ ऐसा मुझे दाँव दे
न झंझट हो न नफरत हो दिलों में
सभी के दिलों में प्रेम हो ऐसा मुझे गाँव दे
चलो चलें प्रिये जहाँ मैं और तुम हो
पार कर जाऊँ नदी ऐसी मुझे नाव दे
---राजकपूर राजपूत''राज''
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