लोग पीठ पीछे बुराई करते हैं
किसी के बुरे व्यवहारों का
ताकि जाहिर हो सकें
उनकी अनिच्छा
जो उसे पसंद नहीं
इसलिए समर्थन मांगते हैं
लोगों के समूह में
निर्माण कर सके
दावे के पुष्टि के रूप में
ताकि गलत आदमी को
अहसास हो सके
वो सही नहीं है
और उसे अपने कृत्यों पर
ग्लानी हो
और छोड़ दें
बुरे काम को
लाज़मी है
सामने वाले भी
अपने हितों के लिए
सजग है
चालाकियां
सबके सीने में है
तर्कों के सहारे
अपने स्वार्थों की पूर्ति
कर ही लेंगे
बात उचित-अनुचित की नहीं है
स्वार्थ की सिद्धि में है
जिसकी जीत
उसकी प्रसिद्ध में है
और यह भी
ज़रूरी नहीं
कौन सही
कौन गलत है
जरुरी है
किसके पास कितने ..?
स्वार्थ पूर्ति की कोशिश है
प्राप्ति है
वहीं सर्वमान्य इंसान है
आज के जमाने में
सच या गलत नहीं !!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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