असीम ऊर्जा कहीं बिखर जाना Poem on Death Bed

Poem on Death Bed 

असीम ऊर्जा कहीं बिखर जाना 

जब आप घीर जाए ,,, 
निराशा में , 
तब है मृत्यु 

जब आप निकल ना पाए आशा से , 
तब है मृत्यु 

जब प्रेम की जगह नफरत रखते हैं  
तब तुम्हारे लिए दूसरों की और दूसरो के लिए तुम्हारी 
हो जाती है, ,
मृत्यु 

शरीर में ऊतकों का क्षरण होते जाना 
इंद्रियों और मन का तालमेल न हो पाना 
स्मृति पटल में बुद्धि की 
कल्पनाओं और स्मरणो  को सजो न पाना
शरीर के भीतर ऊर्जा का शिथिल हो जाना 
   मृत्यु है

और स्थूल शरीर का धरती पर ही रह जाना
असीम ऊर्जा, कहीं बिखर जाना ,, मृत्यु है !!!!!

Poem on Death Bed


मरने के लिए एक पल चाहिए
लेकिन जीने के लिए
बहुत बड़े 
जैसे मिनट, घंटा, दिन रात , साल आदि
बस न आए वो एक पल
मृत्यु का !!!

आदमी जीने से पहले
कई बार मरता है
डरता है
सम्भलता है
फिर चलता है
जीने के लिए
और कुछ लोग
चलते नहीं
डर कर मर जाते हैं
जीने से पहले !!!!

---राजकपूर राजपूत




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