छूकर देखिए किताबों को Touch the Man and See - Poem

Touch the Man and See - Poem 
छूकर देखिए इन किताबों को
अलग दुनिया में ले जाएगी आपको

टूटे दिलों में रौनक आ जाएगी
जिसका यकीन नहीं होगा आपको

जब सुने ना कोई तुम्हारे दिल की बात
निराशा से आशा में ले जाएगी आपको !!!

आज गर्मी बहुत थी 
साथ में उमस 
व्याकुलता के साथ 
शरीर लथपथ 
फिर भी संतोष 
इसी उम्मीद में 
बादल आते हैं 
ऐसी गर्मी में 
पिघलने के लिए 
धरती के पास 
उष्ण हवाओं के सम्पर्क में आ कर 
लेकिन नहीं आए बादल 
केवल गरजने की आवाजें सुनाई दी 
बरसे नहीं बादल 
कभी इस ओर आकर !!!!

Touch the Man and See - Poem



गेहूं के साथ 
बो दिए हैं 
आदमी को 
अत्यधिक उत्पादन के लिए 
तथाकथित बुद्धिजीवी 
तर्कशील लोग 
और काट रहे हैं 
हार्वेस्टर से 
समय बचाने के लिए !!!!!

सब कोई खरपतवार है 
धान की फसलों के बीच उगें हुए 
उखाड़ देंगे 
खेतों से 
अनुपयोगी चीजें 
जैसे तुम 
मतलबी लोगो के बीच में !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''

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