जिससे भागने की कोशिश करेंगे लेकिन कब तक । इससे अच्छा है आप उस हालातों का सामना करें । उस परिस्थिति को स्वीकार करें । डर से ही सही,, बस खड़े रहे । उसके बाद आपकी हालत डर जाएंगे । जिसका भय आपको प्रतीत हो रही थी । वो आपको भीतर भीतर कमजोर दिखाई देंगे । उसी वक्त आपको खुद के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना होगा ।
हो सकता है आपके भीतर नकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक ऊर्जा के बीच द्वंद्व चलें । जहां आप फंस जाएं । लेकिन आपका समर्थन सकारात्मक होना चाहिए । आपकी दुनिया आपके भीतर है । जिसे आप स्वीकार करते हैं । वैसे ही आपकी पहचान होगी ।
आपका दुश्मन कहीं नहीं आपके भीतर है । सोच के रूप में ।
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