निष्पक्षता अब दिखते नहीं है । intellectual politics article जितना प्रर्दशन होता है, उतना दिखते नहीं है । भले ही सभ्यता का दिखावा करें ।मगर लोग समझदारी का चोला ओढ़कर बौध्दिक सियासत करने में माहिर हो गए हैं ।
अपने सिद्धांतों को प्रतिपादित करने के लिए सियासत भरे चालाकियों को इस तरह प्रयोग करते हैं कि सामने वाले उसे सच्चाई का हितैषी मानते हैं । बौद्धिक क्षमताओं से खुद को आसानी से सिद्ध कर देते हैं ।
intellectual politics article
ये जितने भी खुद को बुद्धिजीवी मानने का दावा करते हैं । खुद को तटस्थ होने की बात कहें लेकिन अपने इरादों को अपनी बातों में इस तरह शामिल करते हैं कि आपको पता ना चले । ऐसी चाल चलते हैं जिससे आपके विचारों को मनमाफिक धीरे धीरे परिवर्तन करते रहते हैं । आप समझते रहेंगे कि अमुक व्यक्ति या संस्थान हमारी हितों का ध्यान रख रहे हैं, ऐसा महसूस होता है मगर वह अपने किसी उद्देश्य की प्राप्ति में लगे रहते हैं ।
ज़्यादातर लोग अपने प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति में उम्र बिता देते हैं । उसे किसी को समझने का समय नहीं मिल पाते हैं । जो जानकारी मिलती है । उसी को स्वीकार कर लेते हैं । किसी बात की दूसरे पहलूओं के बारे में सोच नहीं पाते हैं ।
समय दैनिक जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति में बीतता है । ऐसे ही लोग मासुम है । जिसे सबसे ज्यादा निशाने पर लिया जाता है । अपने विचारों को थोपने के लिए ।
अगर आप उसे समझना चाहते हैं तो उस पर से अपना प्रेम हटाना पड़ेगा । उनके आगे पीछे का जीवन उनके इरादों को इंगित करते हैं । अगर आप पहली बार मिले हैं तो आगे उसे आसानी से समझ जाओगे ।
खुद को उससे अलग होने की कोशिश करना पड़ेगा । बस कुछ दिनों में आपको सभी सच्चाई समझ आ जाएगी । लायक है या नालायक । यदि ऐसा नहीं करेंगे तो ऐसे लोग हमेशा आपका बौध्दिक शोषण करते रहेंगे । और आप ठगे जाओगे ।
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1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar lekh
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