धीरे धीरे

लो ! ये दिन भी निकल गया
धीरे धीरे
सूरज भी निकल रहा है
धीरे धीरे
क्षितिज के मध्यम से
धीरे धीरे
मनोहर लालिमा लिए हुए
धीरे धीरे
जिसे निहार सकते हो
धीरे धीरे
ज्यों ज्यों सूरज ऊपर चढ़ेगा
तापमान और बढ़ेगा
और तेरी ठंड से जकड़न दूर होगी
धीरे धीरे
अब तुम बिस्तर छोड़ दो
धीरे धीरे !!!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''


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