सफ़र में रातभर रोती है चॉदनी

उदास करती है चाॅऺदनी
तेरी याद लाती है चाॅऺदनी

तनहाई भरी रात के अंधेरे में
ख्वाब सजाती है चाॅऺदनी

सो जाता हैै ये सारा जहां
मेरी ऑ॑खें निहारती है चाॅऺदनी

हरी हरी दूबों पर ओस की बूंदें
सफ़र में रातभर रोती है चॉदनी
---राजकपूर राजपूत''राज''
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