vyartha-mat-dekhon- प्रेरित कहीं से भी हुआ जा सकता है । जहां से प्रेरित होते हैं । ग्रहण करते हैं । वहीं सच्चा ज्ञान है । बाकी कहने और सुनने का । जो अक्सर दूसरों के द्वारा महसूस किया हुआ है । खुद को अहसास हो तो ज्ञान जीवन को प्रेरित कर सकता है । जिसे आत्मसात करने में सुकून का महसूस होता है । ऐसे ज्ञान जहां भी मिले ग्रहण कर लेना चाहिए ।
कविता हिन्दी में 👇👇
vyartha-mat-dekhon-
मन साफ रखो
व्यर्थ मत देखो
मंजिल तभी मिलेगी
स्थिर हो लक्ष्य देखो
जीवन छोटा है
व्यर्थ मत गंवाओ
भटक मत जीवन में
लक्ष्य साध फिर चलो
बगुले का ध्यान रख
सोच और ध्यान रखो !!
vyartha-mat-dekhon-
तू कहां जाएगा
जहां चाह वहां पाएगा
तुफान आया है सोच मत
जो नहीं लड़ेगा बह जाएगा
धूप-धूप सब कहें
जो सफ़र पे चला वो पाएगा !!
ज़रूरी नहीं है
सबको समझाओं
ज़रूरी नहीं है
सबको मंजिल बताओ
ज़रूरी नहीं है, ज्ञान की बातें
ज़रूरी नहीं है
खुद को भी सुहाते
जरूरी है तो
खुद पहचानो और अपनाओं
जीवन सरल होगा
खुद समझो और समझाओं !!!
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