बड़े चाव से

बड़े चाव से
जीता हूॅ॑ जिंदगी
धूप हो या छांव से

दिल साफ है मेरा
आदमी हूॅ॑ मैं गांव से

तू सियासत ना कर
जैसे कौवा काव से

झुक जाएंगी पूरी लंका
सिर्फ अंगद के पांव से
---राजकपूर राजपूत''राज''
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