अभी अभी तो जागा था मैं
अभी अभी तो जागा था मैं
अभी अभी तो भागा था मैं
उबड़-खाबड़ जीवन पथ में
अभी अभी गीत गाया था मैं
कुछ दूर है अब मंजिल मेरी
ऐसे हौसला बढ़ाया था मैं
तुम हो सकते हो निराश,हताश
सूरज की रोशनी संग जागा था मैं
न उम्मीद किसी से न चाहत मेरी
फिर क्यों प्यार के लिए भागा था मैं
---राजकपूर राजपूत
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