जब भी माथा टेकते हैं
आदमी लाचार होकर
अपना अंहकार फेंकते हैं
उस वक्त ऐसा लगता है
भगवान और मेरा
हृदय मिलता है
कुछ सुकून मिलता है
थका हुआ आदमी के अंदर
सुन्दर फूल खिलता है
जो मुरझाए ना इसलिए
ईश्वर से चुनौती मिलता है
अंहकार से रिश्ते टूटते हैं
सबके हृदय टूटते हैं
इसलिए इसे निकाल के रखो
तब मुझे तुम अपने हृदय में रखो
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