Prem Kavita Hindi
मुझे किसी ने नहीं कहा है
तुम्हें दिल से क्यों चाहा है
अब कुछ खबर नहीं है मुझे
ये मेरा दिल क्यों दीवाना है
दिल की तड़प क्या बताऊं तुझे
तेरे पास खींचा चला आया है
बुरी नजर है मेरे पास इसलिए
घर वालों ने ताबीज पहनाया है
क्या पाया तुझे चाह कर 'राज'
अपने दर्द को खुद ही समझाया है
मुझे किसी ने नहीं कहा
फिर भी चला आया
मैं प्रेम से भरा था
हर किसी को छलका आया
मिला मुझे किसी कुछ भी नहीं
उनका दर्द समेट कर चला आया
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