सच्चाई जिंदा रहती है
भले ही दबी रहती है
कुछ देर तक झूठ के बीच
बेशक ढंकी रहती है
ये कुछ अक्लमंद है ना
अच्छे इंसान वो कम है ना
छुपाए है इरादे अपनी बातों से
बरगलाते है अपनी बातों से
सच पे पर्दा डालते हैं
लेकिन उसके इरादे पकड़े जाते हैं
क्योंकि सच्चाई जिंदा है
इंसान के अंदर
जिसे कुछ पल के लिए
दबा सकते हैं,, खुद के अंदर
जिसे ठहर के देखना पड़ता है
झूठ के इरादों को
दूसरो के सच को
खुद के अंदर
अहसास करने पर
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