Prem Kavita Hindi
ऐसा नहीं है कि वो जानता कुछ नहीं है
समझें हैं बहुत लेकिन बोला कुछ नहीं है
चालाकियां दबी हुई थी उसके सीने में
सच कह देते लेकिन कहा कुछ नहीं है
ये उदासीनता है या निराशा है दोस्तों
प्यार की बातों को सीखा कुछ नहीं है
आग लगा के यहाॅ॑ बुझाते हैं सब लोग
जल गए घर का समान फायदा कुछ नहीं है
उसकी मुस्कराहट बताती है
सच जानता है लेकिन कहता कुछ नहीं
वो अभी अभी हाथ छुड़ाकर गए हैं
प्यार न भूलें लेकिन निभाया कुछ नहीं
न जाने क्या हो गया था मेरे दिल को
इतने दिनों तक साथ रहा मगर अहसास कुछ नहीं !!
Prem Kavita Hindi
जब लिया था उसका हाथ
अपने हाथों में
तब लगा प्रेम कोमल है
और मुझे इसी रास्ते से जाना है
जिस्म से उसके रूह तक
कोमल अहसास लिए
मेरे साथ-साथ वो भी महसूस करती होगी
प्रेम की कोमलता को
जो उतरेगी
मेरे साथ-साथ
जैसे मैं डूब गया हूॅं
उसके रूह तक !!!
बहुत पहले की बात है
एक छेने (गोबर का उबला) लेकर
पड़ोस का घर छान मारती औरत
एक सुलगी आग के लिए
और बतिया आती थी औरत
अपने घर का हाल-चाल
आधे घंटे बैठकर
फिर खाना बनाती थी औरत
अपने घर में
दबा कर रख देती थी आग
राख में
अगले दिन के लिए
जो आज माचिस के रूप में
हमारे जेब में है
और हमें अब पड़ोसियों से
बतियाने का समय नहीं मिलता है
जरूरत अब हमारे जेब पर है
पड़ोसी दूर !!!!
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