अजीब है इश्क़ राज़ Strange Love is a Poem

Strange Love is a Poem 
हम मिले भी तो ऐसे
अब बताएं तुम्हें कैसे

तुम्हारा दूर दूर रहना
तड़प बताएं तुम्हें कैसे

तुम्हें देख के दिल धड़का
नज़रें बताएं तुम्हें कैसे

तेरे बगैर रह नहीं सकते 
तड़प बताएं तुम्हें कैसे

अजीब है इश्क़ राज़
गुफ्तगू से बताएं तुम्हें कैसे !!!!

Strange Love is a Poem

अजीब इश्क है राज 
जो कल था नहीं है आज 

करनी थी चार शादियां 
मोहब्बत के गजल लिखें 

कैसे हैं उसके इश्क का राज़  !!!

उसकी मोहब्बत समझौते पर टिका है 
मन भर गया तो दिल बिका है 

अब उसे समझाएं कोई कैसे 
तथाकथित बुद्धिजीवी सा दिखा है !!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''

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