kahun-kaise-dil-ki-baat- कुछ बातें ऐसी होती है , जिसे आसानी से कह नहीं सकते हैं । ऐसी स्थिति दो ही जगहों पर बनती है । एक तो प्रेम की शुरुआत में, और मुर्खों के सामने । प्रेमी के सामने सम्मान और झिझक में लेकिन मुर्खों के बीच अपमान के कारण । कविता हिन्दी में 👇👇
kahun-kaise-dil-ki-baat
कहूॅ॑ कैसे मैं दिल की बात
ख्वाबों में करता हूॅ॑ मुलाकात
सामने तेरे हिम्मत नहीं होती
इश्क है या फिर कुछ और बात
गर होते तुम पास मेरे
घनिष्ठ होते रिश्ते और जज़्बात !!!
kahun-kaise-dil-ki-baat
कैसे कहूंजब वो खुद को
समझदार मान बैठा है
अपने तर्कों को
सर्वमान्य मान बैठा है
परिवर्तन मुश्किल है
अपने सिवाय सबको
ग्वार मान बैठा है
वो समझाने के मूड में है
खुद को समझदार मान बैठा है
सीखने और सीखाने की प्रवृत्ति में
विनम्रता नहीं, घमंड मान बैठा है !!!
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