मेरी अवधारणा my concept poem

my concept poem 
तुम्हारे कहने से नहीं हो जाता
कोई शब्द सत्य
या असत्य
और ना ही तुम्हारे कहने से
प्रेम की अनुभूति होगी
मेरी भी उपस्थिति जरूरी होगी
इसके लिए जरूरी है
मेरी अवधारणा
जो किसी वस्तु को देखकर
मेरी नज़रों ने कुछ समझकर
भीतर ही भीतर
मुझे जो प्रतीत की 
उस पल एक अवधारणा
निर्मित हुई 
जो हो सकता है
मेरी बरसों की प्यास थी
मेरा विश्वास मेरी आस थी
जिसे तुम्हें जीतना होगा
मेरे और करीब आना होगा
तभी मेरी अवधारणाएं बदल पाओगे
मेरे अहसासों में नए अहसास दे पाओगे !!

my concept poem 

तुम्हारे ज्ञान की बातें
मेरे महत्वहीन है
तुम बहलाना जानते हो
समझाना नहीं
अपने विचार थोपने के लिए
तुम्हारे पास कई तर्क है
जो मेरे लिए बहुत फर्क है
तुम्हारे जीवन और मेरे जीवन में
तुम जिसे अच्छा मानते हो 
मेरे लिए व्यर्थ
जबकि मेरे जीवन का कुछ और अर्थ है
जिसे तुम समझ नहीं सकते हो
इसलिए तुम मुझसे दूर रहो !!!


my concept poem



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