Love Tolerate poem /प्यार -एक आशा , विश्वास ,है ! जो किसी से पाने के लिए इंतजार करता है ! अपने प्यार [love] की चाहत सिर्फ इतनी की वो मिल जाए ! इसी आशा में अपने इष्ट देव से प्रार्थनाएँ करता है ! समर्पण हो कर ! निश्चित्त होता है कि उसका प्यार [love ] ईश्वर मिलाएगा ! प्रस्तुत है प्यार [love] की कविता hindi में -
Love Tolerate poem
बर्दाश्त करना
इश्क ना करना
ऐसी बात है तो
मजबूरी में जीना मरना
मेरा समर्पण देखो
तेरे दरवाजे पर खड़ा रहा
बस इसी उम्मीद से
तू मिल जाएगा
मन ही मन प्रार्थना की
तुझे पाने के लिए
मगर कभी शोर न की
न ही किसी से कहां
तुझे चाहता कितना हूं
न ही प्रदर्शन किया
अपने प्रेम का
किसी के सामने
मैंने तो बस इतना चाहा है
तुमसे जुड़ा रहूं
अपने मन और आत्मा से
जिससे मुझे बल मिलता रहे
तेरे प्रेम का
और मैं अपने सफ़र में
चलता रहूं
निरंतर
तेरे सहारे
जीवन की ओर
जहां तू रहे मेरे साथ
मेरे हर सफ़र में
इसी उम्मीद में
मेरा समर्पण
तुम्हारे प्रति !!!
प्रेम की परिभाषाएं मैंने नहीं गढ़ी है
और न ही कोई रूपरेखा बनाई है
जिसमें तुम मुझे बांधों
मैंने तो जीवन के साथ
आने वाली खुशी, ग़म की संवेदनाओं में
तेरे साथ पाने के लिए
बस प्यार किया है
जब तक तुम हो मेरे साथ
इसी उम्मीदों में रहना !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 कम न समझना तुम मुझे
0 टिप्पणियाँ