उसके हर लफ्ज़ सियासत कहें

जो खुद में इतना खोए रहे
वो दुनिया से भला क्या कहें
कभी बैठे नहीं पास किसी के
दिन-रात मोबाइल में मस्त रहे
दुरियां रिश्तों को सुखा देती है
ऐसे में भला पीर कहां बहे
थकावट बहुत है मेरे सीने में राज़
उसके हर लफ्ज़ सियासत कहें 
- राजकपूर राजपूत राज
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