Sach par Kavita Hindi मार्क्स ने कभी जीवन में ईश्वर और परमात्मा जैसे शब्दों को पढ़ा ही नहीं है । वह तो गॉड जैसे चीज़ की अवधारणा को देखा था । चूंकि ईश्वर साधना और ध्यान से अनुभूति होती है । लेकिन मार्क्स सुविधाओं के बाहर सोच ही नहीं पाएं । ऐसे लोगों के विचार ज्यादातर रोटी और जंगली जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं ।
सच कुछ और है बस तोड़े जाते हैं
छोटा सा लफ्ज़ है बस मोड़े जाते हैं
हम बैठे रहे घंटों टीवी के पास मगर
ख़बरें कम विज्ञापनों को जोड़े जाते हैं
उसने चिल्लाया इस तरह मेरे कदम रुक गए
एक ही ख़बर को मेरी बेचैनियों से जोड़े जाते हैं
इरादें छुप नहीं सकते बनावटी सच्चाई से
अपने इरादों से हमारे इरादों को जोड़े जाते हैं
आजकल अक्लमंदी का दौर है दोस्तों
चुपके-चुपके ही सही मगर दिल तोड़े जाते हैं !!!
Sach par Kavita Hindi
कुछ खबरें
आनी नहीं चाहिए
नेपथ्य में रहे तो ठीक है
अगर आ जाएं सामने तो
तथाकथित बुद्धिजीवी
बिन मांगे राय देंगे
जिसकी आंखें
अपने आसपास की घटनाओं को
देख नहीं पाती !!!
देख नहीं पाती है
या समझ नहीं पाती है
जानबूझकर या अनजान में
कह नहीं सकते हैं
लेकिन इतना जरूर है
ख़बरें वो बना सकती है
किसी मुद्दे को उछालना है
जनसाधारण को बहकाना है
इसलिए खबरें खबर नहीं होती
कुछ लोगों का एजेंडा है !!!
खबरों की शोर बताती है
मुद्दा बहुत सियासी है
अब बच कर कहां जाएगा कोई
चालाकी बुद्धि बहुत सियानी है
रिश्ते नहीं बन पाए कभी आफिस में
वो साहब वो चपरासी है
सच अभी-अभी गुज़रा है
तथाकथित बुद्धिजीवियों की मनमानी है !!!
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