प्रिय उम्मीद
तुम ही थे,,
जिसके भरोसे
निरंतर जी रहा हूं
मेरी हर सुबह से
तेरी तलाश है
कुछ पा रहा हूं
कुछ खो रहा हूं
कभी हॅंस रहा हूं
कभी रो रहा हूं
तू ही है
मेरे जीवन का आधार
तेरे बिना मेरा
जीवन बेकार
तू नहीं तो
ये जीवन पतझड़ है
जिसमें कभी भी
नए पत्तें
पल्लवित नहीं होंगे
मैं जानता हूं
1 टिप्पणियाँ
Bahut khub
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