Aye! Friend Be Careful Poem
खुशी हो या ग़म तुझे बताने को बेताब रहता हूॅ॑
ऐ ! दोस्त तुझे कहे बिना आराम कहां पाता हूॅ॑ !!!
ऐ ! दोस्त
सूर्य नहीं डुबा था
धरती घुम गई थी
बस तुम्हें लगा
कि ये दिन रात की वजह है
ऐ ! दोस्त
चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं है
जैसे तुम्हें लगा
ठीक उसके विपरीत है
सच
सूर्य के सीध में नहीं आया था
चन्द्रमा
ऐ ! दोस्त
तुम वैज्ञानिक युग में हो
कारण और प्रकृति
फिर उसकी प्रवृत्ति
तुम्हें समझना चाहिए
जैसे कि आजकल के लोग
बता देते हैं
तुम्हें समझना चाहिए
उसके इरादों की खोट
और उसकी चोट
कुछ स्थापित करना चाहता है
इसलिए बहस करना चाहता है
कुछ सियासी पंथ और सियासी लोग
जो तुमसे नफ़रत करते हैं
वहीं भ्रम पैदा करते हैं
ऐ ! दोस्त सावधान रहना !!!!
Aye! Friend Be Careful Poem
ऐसे तो नहीं कि
एक दिन बुरा हो जाए मुझसे
और तू सदा के लिए
रूठ जाए मुझसे
इतनी कमजोर दोस्ती न कर
कुछ उतार चढ़ाव से जीना है जिंदगी
है पसंद तो हां कर
नहीं तो ना कर !!!
ऐ ! दोस्त
मेरी दोस्ती
अब तक महसूस किया होगा
और मैंने जताने से ज्यादा
निभाया होगा
उसकी कीमत देखना
फिर दुनिया को देखना
अच्छे लगे तो साथ रहना
ऐ ! दोस्त !!!!
बहुत बड़ी बात नहीं है
मेरी दोस्ती
मैं जो कर सकता हूं
वहीं मैं चाह सकता हूं
ऐसी ही मेरी दोस्ती !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
सुंदर
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