अनगिनत इच्छाएं मन की
जो कभी टूटते और बिखरते हैं
जिसे समेटने के लिए
ताउम्र मेरी कोशिश रहती है
कभी आशा कभी निराशा
भरें मन में
एक चाहत लिए मन में
दर-बदर भटकता हूं
इसी उम्मीद में
कि तुम आओगे
मेरे जीवन में
जिससे मुझे ठहराव का
एहसास होगा
जब तू मेरे पास होगा
उस वक्त मेरी ख्वाहिशे
पूरी होगी
1 टिप्पणियाँ
Nice
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