इकरार हो या इनकार हो -कविता

इकरार हो या इनकार हो- 


इकरार हो या इनकार
ऑ॑खों से झलकती है
लब तो इंतजार में रहता है
ऑ॑खों के इशारों के
दिल में अगर प्यार है
दिल में अगर एतबार है
तो बातों से झलकता है
कहने की जरूरत नहीं है
कोई सबूत की
आंखों से झलकती है
मन तो इंतजार में रहता है
आंखों के इशारे के !!!

---राजकपूर राजपूत''
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