Happy Day Poem
लोग अक्सर किसी एक को देखकर थकावट भरी रचनाएं लिखते हैं । कितनी संकुचित सोच है । दूसरों को हताश कर देते हैं । ऐसे हल्के साहित्यकारों से सावधान रहना चाहिए ।
कुछ नालायकों को बंग्लादेश में जो हो रहा है सही है तो यहां भी सही है । वहां कोई खुश हैं तो यहां कोई खुश हैं । कविता को इतनी सरल नहीं होनी चाहिए । साहित्य बदनाम हो जाए । दलित के नाम पर, रचनाएं करने वालों अपनी बिरादरी को देखकर रचनाएं की है !!!!
Happy Day Poem
सब-कुछ नहीं छोड़ा जा सकता है
कुछ नालायकों की वजह से
पढ़ें लिखे लोग ही सिस्टम पर बैठा है
रिश्वत लेकर ऐंठा है
लेकिन निराश नहीं होना चाहिए
शिक्षा के प्रति
संस्कार सुधारें
आदत सुधारें
शिक्षा को दोष देना
विचारों का
विस्तार नहीं !!!!
खुशियों का दिन है आ गले लग जा
बेशक एक झपकी देकर तू चली जा
ये लम्हा समेट लूंगा अपनी यादों में
हसीन होगी जिंदगी एक बार गले लग जा !!!
उसने प्रेम को अभी नहीं समझा था
इसलिए अपनी बिरादरी को ढूंढ रहा था !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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