रिश्ता दो चीजों का है ।Tere Mere Rishtey Poem एक दूसरे से जुड़े हुए । एक के बिना दूसरा अधूरा । जैसे कमरे का दरवाजा से । फूल का भौरों से । बादल का जमीं से । ठीक वैसे ही तेरे मेरे रिश्ते हैं । एक दूसरे बिन अधूरे ।
मैं चाहता हूं, जब तक जिंदगी है ।तब तक साथ रहे एक दूसरे के । मर जाने के बाद उस सुनापन में न जाने कौन आएगा । अनंत तन्हाई को भरने । जहां स्वयं अकेले हो जाएंगे, खुद से । पढ़िए कविता रिश्तों पर 👇👇
Tere Mere Rishtey Poem
तय कर नहीं पाते हम
तेरे मेरे रिश्तों को
मैं तो उलझा रहता हूॅ॑
तेरे आसपास
तेरी तलाश में
कभी शिकायत कर बैठता हूॅ॑
क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूॅ॑
दिल में डर लगता है
तुम्हें खोने का
इसलिए तेरे पास आता हूॅ॑
एक पल ना देखूॅ॑ तुझे तो
दर्द बहुत पाता हूॅ॑
फिर क्यों ???
मैं तुम्हें चाहता हूॅ॑
ये तय नहीं कर पाता हूॅ॑ !!
तेरे मेरे रिश्ते
जब से बना है
व्यस्तता के बीच भी
वक्त निकाल लेता हूॅं
तेरे लिए
मुलाकात के लिए नहीं
कम-से-कम ख्वाब और ख्याल के लिए !!!
कौन कहता है मोहब्बत करो
मोहब्बत करो और शिकायत न करो
हमने तो रिश्ता ही ऐसा बनाया है
हम रूठे तुम मनाया करो
साथ छूट जाने के बाद
कौन रहना चाहता है इन तन्हाइयों में
जिंदा हूॅं तब तक
दिल से प्यार किया करो !!!
हमने तो सबको प्यार दिया
जिसके सम्पर्क में आए
हमने नहीं भुला
जहां गुज़ारे दिन
चाहे पेड़ हो
उसकी छांव हो
चाहे चिड़िया की चहचहाहट हो
बादलों का गर्जना
बिजली का चमकना
नदी, तालाब
सबको महसूस किए
खुद के भीतर
जिससे जब भी दूर हुआ
दिल तड़प उठा
भीतर ही भीतर
तो हम तुम्हें कैसे भूल सकते हैं
जिसमें अपना जीवन देखा हो !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 सफलता
---राजकपूर राजपूत''राज''
0 टिप्पणियाँ