गुरूदेव

जितना जाना था
सबको बताया था
अपने अनुभवों से
जिसने जीवन सवारा था
जीवन पथ पर
चलना सिखाया था
मार्ग के कांटों को
प्यार से हटाया था
कैसा अनोखा प्रेम था
आठों पहर
जिसकी आंखों में
अपार स्नेह था
वो मेरे-
पुजनीय गुरूदेव था

जय गुरुदेव 🙏🙏
---राजकपूर राजपूत''राज''



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