इश्क़ में बदनाम होने पर हैरत ही क्या

इश्क़ में बदनाम होने पर हैरत ही क्या
तुम्हें लगता है डर मोहब्बत नहीं क्या
बड़ी शिद्दत से सजाया हूं तुझे ख्वाबों में
कभी-कभी तेरे ख्यालों में आता हूॅ॑ क्या
बेखुदी में उठ जाते हैं कदम बार बार
बता तेरे सीने में दर्द उठता नहीं क्या
---राजकपूर राजपूत''राज''

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