सच्चाई हल्की हो जाती हैं Truth Becomes Light - meregeet

Truth Becomes Light - meregeet 

आदमी सबकुछ जानकर
सबकुछ समझकर
कई सच्चाई को
अपने अंदर दफ्न कर देते हैं
क्योंकि वो जानता है
एक व्यवस्था, एक हित
समाज का , खुद का
जिस पर रखने से
सच्चाई हल्की हो जाती हैं !!!

सच्चाई हल्की हो जाती है 
जब तथाकथित बुद्धिजीवी 
तथाकथित पंथ निरपेक्ष लोग 
एक ही बातों को 
दो तरह से कह देते हैं 
एक अपनी सुविधा से 
दूसरी नफ़रत से 
जिसे जानने के बाद 
लोग हल्के हो जाते हैं 
गिरकर नजरों से 
फिर कभी नहीं उठते हैं !!!!


Truth Becomes Light - meregeet


आखिर उसकी प्रगतिशील सोच 
की पोल खुल गई 
जब उसने अपने/पराएं को 
ध्यान में रखकर 
न्याय की बातें की !!!!

अभी तो और गिरेगा 
तब कहीं जाकर चेतेगा 
तब तक लोग समझ जाएंगे 
ऐसे तर्कशील 
सबकी नजरों से 
मर जाएंगे !!!!

कितना अच्छा लगता है उसे 
बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, प्रगतिशील 
भोथरे तर्कशील होने पर 
जिसकी सोच 
समाज को छिन्न-भिन्न कर दिया है । ।

आजकल के बुद्धिजीवी 
तर्क करते हैं 
फर्क करते हैं 
खुद को प्रगतिशील कहलाने के लिए 
जिसकी जरूरत 
कभी थी ही नहीं 
भारत देश को 
जो मानते ही नहीं 
अपने देश को 
आक्रमकता से विचार रखे 
जैसे कोई सियासी पंथ रखें !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''


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