रात गुजारी एक सितारा किसी के इंतजार में-
रात गुजारी एक सितारा किसी के इंतजार में
सुबह बिखर गया जमीं पे किसी के इंतजार में
देखते ही देखते खो गया चांद दिन के उजाले में
सूरज सफ़र तन्हा करता रहा किसी के इंतजार में
हमने आंख खोली तो देखा दुनिया की नज़ारे
सब ज़मीं देख रहे थे किसी की तलाश में
वक्त गुजर जाता है यूं ही अपनी- अपनी धुन में
कोई किसी के दर्द सहारे , किसी के हताश में
---राजकपूर राजपूत
0 टिप्पणियाँ