तभी अनिता ने कहा " दीदी ये मोटू कौन है ?
"वो उनके दोस्त है । साथ साथ पढ़े लिखे हैं । पहले दोनों के खुब बनते थे । साथ बैठ के खाते-पीते थे ,,,, जिसे वो अक्सर मोटू कह कर बुलाते हैं,, असल में उसका नाम प्रकाश है । जब से उसकी शादी हुई है वो खुद को बदल लिए । अब वो शराब पीना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं । जिससे दोनों में दूरियां बढ़ गई है । चाहते अलग अलग हो गए हैं । "
"ठीक किया है उसने"अनिता ने कहा ।
"हां,,, लेकिन वो ग़लत मानते हैं । संगति भी समान विचारधारा वालों से होती है । थोड़ा सा विपरीत हुए,, पसंद नहीं करते हैं । आज जिंद करके बुलाएं होंगे । "
"शायद ! बेमेतरा में मुलाकात हुआ है । मोटू भी वही गए थे । शालिनी कह रही थी । "
"और देखो ना ,पेट उनका भी निकल गए हैं और दूसरे को मोटू कहते हैं । हर शराब पीने और खाने वाले का शायद निकल ही जाते हैं । यही पहचान तो नहीं है । पीने खाने वालों का ।"
"पेट में गैस की वजह से है क्या ??पेट ही क्यों निकल जाते हैं । "अनिता कुछ अनुमान लगाते हुए कहा ।
"क्या पता?? ” यह कहके दोनों हंसने लगे ।
कुछ देर में सब्जी पक गई । दीपक खाने का इंतजार कर रहा था । प्रकाश भी आ चुका है । दोनों बहुत दिनों के बाद आज एक साथ है । जब से खाना पीना बंद किए हैं तब से प्रकाश एकाध बार ही घर आए होंगे । जबकि उसका घर पास ही में है । दोनों में बातचीत शुरू हो गई ।दीपक ने शिकायत भरें लहजे में कहना शुरू किया ।
"शादी के बाद बहुत बदल गए हो तुम । "दीपक ने कहा ।
" नहीं तो,,, और कुछ बदलाव स्वाभाविक है यार । शादी से पहले और अब की जिंदगी में अंतर भी तो है ।" प्रकाश ने कहा ।
"फिर भी कुछ लोग दिन भर घरों में घुसे रहते हैं । दोस्तों को भी भूल जाते हैं । हमें तो घरों में रहना बहुत बूरा लगता है,,ऊबाऊपन। "
"अरे , नहीं !,,, इसमें बोर वाली बात ही क्या ? खुद के घर में ऐसा नहीं लगता है मुझे । हां , उन्हें लग सकता है जिसकी चाहत बाहरी हो,, ऐसे लोगों को घर परिवार में खुशी का अहसास नहीं होता है । मैं तो शराब पीना लगभग पूरी तरह से छोड़ चुका हूॅ॑ । तुम्हारे जिंद की वजह से आज आ गया । कुछ दोस्त कहते हैं कि नशा को पत्नी की वज़ह से छोड़ा हूं । जिसे कुछ लोग गलत समझते हैं । मुझे अहसास हुआ कि नशे में आदमी दूसरों को महसूस नहीं कर पाते । घर की जरूरतें छूट जाते हैं । पैसा और समय व्यर्थ चलें जाते हैं । भाईयों ने मेरी इन्हीं आदतों के कारण अलग कर दिया । उन्हीं लोगों ने मुझे गांव बस्ती में ज्यादा बदनाम किए हैं कि मैं अपनी पत्नी की बात मानता हूं । इसी बात पर आए दिन कुछ लोग मुझपे तंज कसते हैं । बहुत बूरा लगता है ऐसी बातों से । "
"खैर, जो भी हो जो जितना खर्च करोगे,, भगवान उतना ही व्यवस्था कही से कर देते हैं । हम तो रोज पीने की व्यवस्था कर लेते हैं । पता नहीं कैसे हो जाते हैं ? खर्च करों, ऊपर वाले देने के लिए तैयार है ।जो लोग हाय हाय करते हैं, उनकी जिंदगी वैसे ही गुज़र जाते हैं । "
नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता कि भगवान व्यवस्था करते हैं । शायद ! हम ही व्यवस्था करते हैं । किसी को परेशानी में डाल के । अपनी इच्छाओं को पहले देखते हैं , दूसरों की परवाह नहीं करते हैं । गौर से समझने पर पता चलता है कि हमारी चाहतों की वजह से कोई ना कोई जरूरत परेशान रहते हैं । इसमें बड़प्पन वाली बात नहीं ।
दीपक कल्याणी को देखने लगा । जिसके चेहरे को देख के लग रहा था कि वह प्रकाश की बातों से सहमत थी । शालनी और विनोद भी खाने के लिए बैठ चुके थे । मस्ती के समय ऐसी बातें उसे अच्छा नहीं लग रहा था ।
तभी शालनी ने कहा -"कुछ भी कहो, नशेड़ी लोग इतनी जल्दी शराब नहीं छोड़ सकते हैं । एक चुटकुला सुनाती हूं । दो दोस्त थे । दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । सब कुछ साथ साथ करते थे । शराब तो वे लोग बहुत पीते थे । आखिर एक दिन पहले दोस्त ने कहा कि, बहुत हो गया शराब पीना , चलों ! आज से यह सब बन्द करते हैं । दोनों ने वादा किया । मुश्किल से हफ्ता भर गुजरें था । दूसरे दोस्त ने कहा - बहुत दिन हो गए हैं यार , हम लोगों को शराब छोड़े, है ना । तब पहले दोस्त ने कहा - चलों ना इसी खुशी में शराब पीया जाय । इसके बाद क्या था उन दोनों ने फिर से... !"
शालनी की बातों से प्रकाश थोड़े से झेप गया । दीपक को भी अच्छा नहीं लगा ।
"छोड़ो भी ये सब,, एक तो कितने दिनों के बाद आज आए हो और फिर वही बातचीत,,इन सब बातों का कोई मायने नहीं है । अपनी अपनी सोच है । चलों एक पेग और बनाता हूं । "शालनी की बातों को अनसुनी करते हुए कहा को कहा ।
"नहीं यार बहुत हो गया ।अब मन नहीं करता है ।घर में लड़खड़ाते हुए जाओ ,, अच्छा नहीं लगता है । "
"भाभी से डरते हो ना भय्या !" शालिनी ने कहा ।
"अरे नहीं ! खुद ही अच्छा नहीं लगता है । उनसे क्या डरना । "
"सच ही तो कह रही है शालिनी । उनसे डरते नहीं तो बिंदास मजा लेते,, ऐसे किसी की परवाह नहीं करते ।"
दीपक भी तंज कसते हुए कहा ।
एक औरत की परवाह करों तो पुरुष बुरा,, लेकिन एक औरत परवाह करें तो महान ।ये अवहेलना नहीं है एक औरत की । खैर छोड़ो,,,। शालिनी तुम भी गई थी क्या,, बेमेतरा ! वो लड़का कौन था ? जिसके साथ तुम थी ।
शालनी सकपका गई ।
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